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हिंदी दिवस पर निबंध | Hindi Diwas par Nibandh | राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस पर निबंध

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हिंदी दिवस पर निबंध | Hindi Diwas par Nibandh | राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस पर निबंध

हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “हिंदी दिवस पर निबंध | Hindi Diwas par Nibandh | राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस पर निबंध” में हम निबंध के रूप में हिंदी दिवस के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…

कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर बदले वाणी” यह कहावत भारत जैसे बहुरंगी और विविध देश के लिए शब्दशाह सटीक बैठती है.

सैकड़ों बोलियां एवं भाषा वाले इस देश में हिंदी भाषा का स्थान अद्वितीय है.

हजारों साल पुरानी इस भाषा ने ना – सिर्फ पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया बल्कि आजादी की लड़ाई के दिनों में सबसे मुखर और मजबूत संपर्क सूत्र के रूप में काम किया.

धीरे-धीरे हिंदी पुष्पित और पल्लवित होती गई और आज दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे विश्व भर में साढे 650+ मिलियन लोग हिंदी बोल सकते हैं या हिंदी समझ सकते हैं.

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सोशल मीडिया से लेकर हर नई तकनीक में आज हिंदी का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन हिंदी कि राह में चुनौतियां भी बहुत है. हिंदी का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो इसके लिए हर वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है.

जैसा कि हम जानते हैं कि 14 सितंबर 1949 को अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी भाषा को हमारे संविधान में स्थान देते हुए राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसलिए हमारा देश 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है.

हिंदी भाषा भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक हैं और वर्ष 2001 के रिकॉर्ड के अनुसार भारत में लगभग 26 करोड मूल वक्ता थे.

हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है क्योंकि हिंदी भाषा को भारत में 14 सितंबर 1949 को एक उच्च दर्जा मिला था तथा इसे भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया. और आज हिंदी राष्ट्र के “राष्ट्रभाषा” का टैग ले रही है.

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हिंदी भाषा का साहित्य इतिहास 12th शताब्दी का है, इस बीच हिंदी भाषा का आधुनिक अवतार जो वर्तमान समय में ज्यादातर उपयोग में है, लगभग 300 साल पहले का है.

हिंदी दिवस को शैक्षणिक संस्थानों, स्कूल, कालेजों और सरकारी कार्यालयों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.

हमारे देश में भी ऐसे कई लोग हैं जो केवल हिंदी बोलते ही नहीं बल्कि हिंदी को पूजते भी हैं परंतु दिल दुखाने वाली बात यह है कि ऐसे भी लोग हैं जो हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं.

आज लोग अपनी जड़ों को याद रखने के लिए तैयार नहीं है. यह दिवस ना केवल लोगों को अपनी जड़ों को याद रखने के लिए प्रोत्साहित करता है बल्कि इसका प्रचार-प्रसार भी करता है. इसके साथ-साथ हिंदी भाषा को बढ़ावा भी देता है.

यह दिवस हमें एहसास दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि हिंदी भाषा पूरी दुनिया में सबसे पुरानी और सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है और हमें अपनी मातृभाषा यानी हिंदी भाषा को बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए.

कुल मिलाकर हम जानते हैं कि हिंदी भाषा सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. इसके अलावा संस्कृत भाषा का उत्तराधिकारी भी है.

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हालांकि हिंदी ने अतीत और अंत में कई बदलाव देखे हैं. यह अपने वर्तमान स्वरूप में विकसित हो रही है.

वास्तव में हिंदी भाषा को अंग्रेजी भाषा के साथ भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया था. क्योंकि देश की एक और एक मात्र भाषा थी जो पूरे देश को एकजुट करने की क्षमता रखती थी.

हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान है. अतः हमें इसे कभी नहीं भूलना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए और इसका मूल्य समझना चाहिए.

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