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मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में

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मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में

हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में”, हम मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा के बारे में निबंध के रूप में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…

चलिए शुरू करते हैं…

मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में

अहिंसा अर्थात हिंसा ना करना। जिसका अर्थ होता है:- अपने मन, वचन, काया से किसी भी जीव को दुख ना पहुंचाना।

सत्य और अहिंसा में बहुत शक्ति होती है।

महात्मा गांधी जी का कहना था कि सत्य सर्वोत्तम कानून है और अहिंसा सर्वोत्तम कर्तव्य है ।

भारत देश 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था जिसमें अहिंसा का मुख्य योगदान था।

इतिहास के महान नायकों ने इसी धर्म का पालन करते हुए अपना प्रभुत्व कायम रखा था।

“अहिंसा परमो धर्म” यह नारा तो हम सभी ने लगभग सुना ही है जिसका अर्थ अहिंसा ही परम धर्म है. यह सत्य जितना सुनने में लगता है असल में पालन करने में उतना ही कठिन है।

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मानव सभ्यता के विकास का जो इतिहास है अगर हम उसकी गहराइयों तक जाने का प्रयास करें तो साफ दिखता है कि मानव एक हिंसक प्राणी था।

उसकी सभी जरूरतों को पूरा करने का रास्ता हिंसा से ही होकर गुजरता था।

लेकिन जैसे-जैसे मानव ने परिवार बनाया, समाज में रहते रहते हैं मानव धीरे-धीरे हिंसा से दूर प्रेम और अहिंसा के रास्ते पर चलने लगा।

धीरे धीरे परिवार और प्रेम के साथ-साथ अहिंसा भी हम मानव जाति के अंदर वास करने लगा।

यह अहिंसा ही है जो हमारी असली आंतरिक शक्ति है ।

मनुष्य समाज ने अगर विकास किया है तो अहिंसा के माध्यम से ही.

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अगर प्रत्येक मनुष्य अहिंसा को अपने जीवन का अंग बना ले तो दुनिया में अपराध, नफरत, स्वार्थ, चोरी जैसी घटनाएं खत्म हो जाएंगे.

हम मनुष्य को अपने प्रकृति से उतना ही लाभ लेना चाहिए जितना की हमें जरूरत है.

यदि हम अहिंसा की रास्ता को अपनाते हैं तो इससे हमारा देश रक्षित एवं शांतिपूर्ण होगा.

क्योंकि जब अपराध नहीं होगा तो हमारे देश के पुलिसकर्मी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से निजात पाकर दुश्मन देश पर कड़ी निगरानी रख सकेंगे.

एवं हमारे देश के सभी व्यक्ति बिना किसी भय के अपने हर काम को सुरक्षित ढंग से कर सकेंगे इससे हमारा देश अंततः एक के सशक्त राष्ट्र के रूप में बनेगा.

और इससे हमारे दुश्मन देश हमें कभी भी किसी भी हालात में नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं.

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यह अहिंसा ही है जो हम इंसानों को जानवरों से अलग करती है.

महात्मा गांधी ने कहा है कि यदि व्यक्ति हिंसक है तो फिर वह पशुवत है मानव बनने के लिए अहिंसा का भाव होना अति आवश्यक है.

अहिंसा केवल एक उपदेश नहीं है बल्कि जीवन का क्रियात्मक सिद्धांत है यदि हम अहिंसा के रास्ते पर चलेंगे तो अंततः हम लोग अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकेंगे एवं अपने साथ साथ देश को भी एक नई ऊंचाई तक पहुंचा सकेंगे.

इस पोस्ट “मानव सभ्यता की जरुरत अहिंसा पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में” को पढ़ने के लिए आप सभी लोगों का दिल से धन्यवाद

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