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महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज एवं छत्तीसगढ़ पर निबंध हिंदी में
हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज एवं छत्तीसगढ़ पर निबंध हिंदी में” में, हम महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज एवं छत्तीसगढ़ के बारे में निबंध के रूप में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…
चलिए शुरू करते हैं…
महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज एवं छत्तीसगढ़ पर निबंध हिंदी में
परिचय:-
महात्मा गांधी जिससे संपूर्ण भारत राष्ट्रपिता कह कर संबोधित करता है.
एक ऐसे महान व्यक्ति जिसने भारत की आजादी के लिए अथक प्रयास किए जिसमें उनका मुख्य हथियार “सत्य” व “अहिंसा” रहा था.
करोड़ों लोग उनके बताए गए मार्ग पर चलने के लिए हमेशा तत्पर रहें.
अपनी सत्य एवं अहिंसा नीति के बल पर उन्होंने भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था.
अपने भावी जीवन में इन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की थी और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी.
महात्मा गांधी का ग्राम-स्वराज:-
गांधी जी का मानना था कि “अगर कोई देश पूरी तरह विकसित होना चाहता है तो उसका विकास निचले स्तर से ऊपर की ओर बढ़ने चाहिए”.
गांधी जी के द्वारा कही गई यह पंक्तियां उनके ग्राम स्वराज के सपने का अर्थ प्रस्तुत करते हैं.
शांति के दूत कहे जाने वाले गांधी जी हमेशा से ही एक स्वराजपूर्ण भारत का सपना देखा करते थे.
उनके अनुसार स्वराज का अर्थ आत्मबल का होना था.
ऐसा स्वराज जो किसी भी जाति या धार्मिक उद्देश्यों को मान्यता नहीं देता हो.
भारत में रहने वाले हर व्यक्ति को सामान तराजू में तौला जाए.
गांधीजी का मानना था कि भारत गांवों का देश अर्थात भारत की आत्मा गांवों में बसती है.
अगर गांव को स्वावलंबी, आत्मनिर्भरता एवं प्रबंधित कर दिया जाए तो संपूर्ण भारत अपने पैरों पर बिना किसी वैशाखी अर्थात विदेशी सत्ता का सहारा लिए बिना भी खड़ा हो सकता है.
गांधीजी के अनुसार प्रत्येक गांव का स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर होना ही ग्राम स्वराज्य है.
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गांधी जी का ग्राम स्वराज्य में योगदान:-
गांधी जी का ग्राम स्वराज में महत्वपूर्ण योगदान रहा है इसके लिए उन्होंने कई सार्थक प्रयास किए है.
उन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए पंचायती राज व्यवस्था पर जोर दिया, खादी को बढ़ावा दिया, स्वदेशी का प्रचार किया, मशीनों की बजाय कुटीर उद्योगों पर बल दिया.
गांधी जी का ग्राम स्वराज गांव में बसता है वह प्रत्येक गांव को भोजन, कपड़े के विषय में स्वावलंबी बनाना चाहते थे.
गांधी जी का ग्राम स्वराज व छत्तीसगढ़:-
महात्मा गांधी जी का इतिहास हर क्षेत्र से जुड़ा है.
इन्हीं क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ भी प्रमुख रहा है.
राष्ट्रपिता ने छत्तीसगढ़ में दो बार आगमन किया पहली बार 20 दिसंबर 1920 तथा दूसरी बार 22 नवंबर 1935 में गांधी जी का आगमन हुआ था.
प्रथम ग्राम स्वराज छत्तीसगढ़ में आगमन:–
गांधी युग में ग्राम स्वराज का प्रमुख बोलबाला था. हर क्षेत्र स्वतंत्रता के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा था.
सन 1920 में छत्तीसगढ़ में कंडेल ग्राम स्वराज के दौरान गांधी जी का आगमन हुआ, जहां छत्तीसगढ़ जनता ने उनका जोरदार स्वागत किया था.
गांधी जी के द्वारा सार्वजनिक सभा को संबोधित किया गया और गांधी जी ने महिलाओं की सभा को भी संबोधित किया एवं ग्राम स्वराज आंदोलन को सफल बनाएं.
गांधी जी का ग्राम स्वराज्य परिपेक्ष में छत्तीसगढ़ में दूसरा आगमन:-
गांधीजी का द्वितीय आगमन 22 नवंबर 1933 में दुर्ग जिले में हुआ.
यहां गांधी जी ने हरिजनों के उत्थान में कार्यक्रमों का आयोजन किया और यहां पर हरिजनों की शैक्षिक तकनीकी की वार्ता की गई.
साथ ही 1917 में पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के द्वारा शुरू किया गया “हरिजन उद्धार आंदोलन” देखकर गांधीजी को बढ़ते हुए भारत का मानचित्र दिखा.
उपसंहार
गांधी जी आज हमारे बीच में भले ही ना हो किंतु उनके सपने हमेशा हमारे साथ हैं जिन्हें पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है.
गांधीजी ने सोए हुए भारतवासियों को जगाने का कार्य किया है उनका जीवन हम भारतवासियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए अनुकरणीय है.
इस पोस्ट “महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज एवं छत्तीसगढ़ पर निबंध हिंदी में” को पढ़ने के लिए आप सभी लोगों का दिल से धन्यवाद…
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