एकल उपयोग प्लास्टिक थर्मोकोल से होने वाली हानियां और विकल्प पर निबंध
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एकल उपयोग प्लास्टिक थर्मोकोल से होने वाली हानियां और विकल्प पर निबंध
“प्लास्टिक उपयोग को अब छोड़ो,
भारत की विकास से नाता जोड़ो”
प्रस्तावना:-
आज के समय में प्लास्टिक का उपयोग मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है . प्लास्टिक का ज्यादा मात्रा में उपयोग करना ना सिर्फ पर्यावरण के लिए लगातार खतरनाक बनते जा रहा है बल्कि इसके साथ ही यह धीरे-धीरे धरती पर जितने भी जीव-जंतु निवास करते हैं उन सभी के जीवन को प्रभावित कर रहा है।
एकल उपयोग प्लास्टिक का अर्थ:-
एकल उपयोग प्लास्टिक एक ऐसा प्लास्टिक है जिसका उपयोग हम केवल एक ही बार करते है या एक ही बार कर सकते है . एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही एकल उपयोग प्लास्टिक कहलाती है. इसे डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं।
सिंगल-यूज प्लास्टिक डिस्पोजेबल प्लास्टिक हैं जो उपयोग और फेंकने के लिए हैं। इनमें पॉलिथीन बैग, प्लास्टिक पीने की बोतलें, प्लास्टिक की बोतल के ढक्कन, खाने के रैपर, प्लास्टिक के पाउच, प्लास्टिक के रैपर, स्ट्रॉ, स्टिरर और स्टायरोफोम कप या प्लेट शामिल हैं।
विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक है क्योंकि यह गैर-बायोडिग्रेडेबल है और इसे विघटित होने में वर्षों लग जाते हैं। सिंगल-यूज प्लास्टिक धीरे-धीरे प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों में टूट जाता है जिसे माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है।
प्लास्टिक की थैलियों को सड़ने में हजारों साल लग सकते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में हमारी मिट्टी और पानी दूषित हो जाता है। WWF का दावा है कि प्लास्टिक का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हानिकारक रसायन जानवरों के ऊतकों में फैल जाते हैं और अंत में मानव खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं।
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थर्मोकोल से होने वाली हानियाँ:-
थर्माकोल से होने वाली हानियां आमतौर पर थर्माकोल के नाम से प्रसिद्ध पोलीस्टायरीन एक ऐसा ही पदार्थ है जिसका प्राकृतिक रूप से निदान नहीं होता है. यह काफी ज्वलनशील होता है तथा इसे जलाने पर काफी हानिकारक गैस निकलता है जिससे हमारे प्रकृति, जीव-जंतु सभी को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।
थर्माकोल का हमारे दैनिक जीवन में बढ़ता उपयोग से नदियों, झीलों और समुद्र के जल को भी बहुत बुरी तरह से दूषित हो रहा है. थर्माकोल आज पर्यावरणविदों के लिए ही नहीं बल्कि समूची पृथ्वी के लिए भी एक चिंता का विषय बन गया है क्योंकि थर्मोकोल बायोडिग्रेडेबल नहीं है इस के छोटे-छोटे टुकड़े जमीन और समुद्र को प्रदूषित करने का एक बड़ा कारण बनते जा रहे हैं।
निष्कर्ष:-
अन-प्लास्टिक कलेक्टिव रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के दशक की शुरुआत से अनुमानित 8.3 बिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है, जिसमें से लगभग 60% या तो लैंडफिल या प्राकृतिक वातावरण में समाप्त हो गया है।
अकेले भारत में हर साल 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से लगभग 43% सिंगल यूज प्लास्टिक होता है। यह भारत के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
यदि एकल उपयोग प्लास्टिक का सही ढंग से निपटारा नहीं किया गया तो वर्ष 2050 तक हमारे आसपास अरबों टन प्लास्टिक कचरा जमा हो जाएगा. अतः हमें अपने भौतिक प्रवृत्ति में बदलाव के साथ बुनियादी कदम उठाने की आवश्यकता है तभी समुद्री जीवो के साथ-साथ विश्व के प्रत्येक जीव जंतु के साथ हमारा अस्तित्व बना रह सकता है।
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