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महात्मा गांधी के सपनो का भारत पर निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi ke sapno ka bharat Pr Nibandh

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महात्मा गांधी के सपनो का भारत पर निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi ke sapno ka bharat Pr Nibandh

हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “महात्मा गांधी के सपनो का भारत पर निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi ke sapno ka bharat Pr Nibandh” में, हम महात्मा गांधी के सपनो का भारत के बारे में निबंध के रूप में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…

चलिए शुरू करते हैं…

महात्मा गांधी के सपनो का भारत पर निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi ke sapno ka bharat Pr Nibandh

महात्मा गांधी बीसवीं सदी के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं. जिनकी अप्रत्यक्ष उपस्थिति उनकी मृत्यु के 60 वर्ष बाद भी पूरे देश भर में देखी जा सकती है.

उन्होंने भारत की कल्पना की और उसके लिए कठिन संघर्ष किया.

गांधीजी ने अपना प्रसिद्ध कृति “मेरे सपनों का भारत” में लिखा है कि मैं भारत को स्वतंत्र और बलवान देखना चाहता हूं.

भारत के लिए गांधीजी का सपना देश में स्वराज लाने का था. जो किसी भी जाति या धार्मिक उद्देश्य को मान्यता नहीं देता है.

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स्वराज जो सभी के लिए हो, जिसमें किसान, विकलांग, अंधे और मेहनतकश लाखों लोग शामिल हो.

गांधीजी हर आंख से आंसू पोछना चाहते थे, वह चाहते थे कि हम भारत के लोग हमारे देश के लिए शांति के वाहक के रूप में कार्य करें और हम अपने देश के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करें.

गांधीजी चाहते थे कि भारत में ना उच्च वर्ग के लोग और ना ही निम्न वर्ग के लोग हो बल्कि समाज में समानता हो, ग्रामीण उद्योगों और कुटीर उद्योगों पर आधारित अर्थव्यवस्था हो, नया भारत आत्मनिर्भर और स्वदेशी संकल्पना पर आधारित हो, भारत के हर नागरिक को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त हो तथा स्वच्छता में भी ईश्वरीय वास हो.

अब प्रश्न उठता है कि भारत गांधी के सपनों के भारत से कितना दूर और कितना पास है.

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सूचना प्रौद्योगिकी ने गांधी जी के भारत के सपने को पूरा करने में एक बड़ा प्रभाव डाला है, स्वच्छ भारत अभियान, राष्ट्रीय इ-शासन, जनधन योजना, गैर सरकारी संगठनों द्वारा दी जाने वाली मदद में वृद्धि, अंतरिक्ष में भारत का दखल, आईटी क्षेत्र में प्रगति, यह सभी गांधी जी के भारत के सपनों को पूरा करने में लगे हुए हैं.

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लेकिन राजनैतिक भ्रष्टाचार, बिकता हुआ लोकतंत्र, संसद की उदासीनता, बढ़ती बेरोजगारी, सीमा पर आतंक, गिरता हुआ सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी, समाज में बढ़ती हुई अव्यवस्था आदि यह सब गांधी जी के सपनों के भारत के लिए रास्ते की रुकावटें हैं जिन्हें हर हाल में हमें दूर करना होगा.

महात्मा गांधी के बहुत से क्रांतिकारी विचार, जिन्हें उस समय नाकारा जाता था, आज ना केवल स्वीकार किए जा रहे हैं बल्कि अपनाएं भी जा रहे हैं और कई लोगों के द्वारा इसको अपने जीवन में उतारा भी जा रहा है.

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आज की पीढ़ी के सामने यह स्पष्ट हो रहा है कि आज भी गांधी के विचार उतने ही प्रासंगिक है जितने उस समय थे.

वर्तमान में हम सबको गांधी के सपनों के भारत के लिए देश की प्रगति में अपना अपना योगदान देना चाहिए ताकि हम महात्मा गांधी के उस सपने को साकार करने में भागीदार बन सकें.

इस पोस्ट “महात्मा गांधी के सपनो का भारत पर निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi ke sapno ka bharat Pr Nibandh” को पढ़ने के लिए आप सभी लोगों को दिल से धन्यवाद…

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