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गांधी दर्शन एवं नया भारत पर निबंध हिंदी में 1000+ शब्दों में
हेलो फ्रेंड्स, इस पोस्ट “गांधी दर्शन एवं नया भारत पर निबंध हिंदी में“, हम निबंध के रूप में गांधी दर्शन और नया भारत के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। तो
चलो शुरू करते हैं…
गांधी दर्शन एवं नया भारत पर निबंध हिंदी में 1000+ शब्दों में
गांधी दर्शन:-
मानवा के अधिकार एवं कर्त्तव्य समाज में उसकी गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं . विश्व के विभिन्न मनीषियों, समाज सुधारकों ने इस बात को स्वीकार किया कि गांधी के बिना मानव अधिकार की संकल्पना अधूरी रह जाती है क्योंकि मानवाधिकारों की सांस्कृतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि गांधी की दृष्टि और उसके दर्शन पर ही आधारित है.
मानवाधिकार की संकल्पना बिना गांधी की अधूरी है क्योंकि मानवाधिकारों की सांस्कृतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि गांधी की दृष्टि और उसके दर्शन पर ही आधारित है. गांधी जी ने सभी विचारों के बीच एक ऐसा समन्वय स्थापित किया जहां से विश्व को व्यक्ति के मानवाधिकारों के लिए एक दिशा मिली.
गांधी जी एक महान शिक्षाविद थे, उनका मानना था कि किसी देश की सामाजिक, नैतिक और आर्थिक प्रगति अंततः शिक्षा पर निर्भर करती है. गांधी दर्शन को उल्लेखित करने हेतु कुछ पंक्तियां इस प्रकार उल्लेखित की गई है जो इस प्रकार हैं “दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”.
गांधी दर्शन की चार आधारभूत सिद्धांत है सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव. वह बचपन से ही “सत्यवादी व स्वावलंबी” बने. वह हिंसा को त्याग अहिंसा के दृष्टिकोण पर बल देते थे. उनका कहना था कि सत्य एवं अहिंसा एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग कर दुनिया को झुकाया जा सकता है.
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गांधी दर्शन व नया भारत:-
नए भारत के संस्थापक के रूप में गांधी जी ने हमें स्वतंत्रता-पूर्व संघर्ष की विरासत छोड़ी है, जिसे हम सभी संजोए रखे हैं और अब भी देश भर में हममें से कई लोगों के लिए है विरासत प्रेरणा का काम करती है.सत्य, सादगी जरूरतमंदों की देखभाल और अहिंसा पर उनका अटूट विश्वास था. गरीब और बेसहारा वर्ग के लिए काम करने की अदम्य इच्छा को फली-भूत करना ही गांधीजी का अंतिम लक्ष्य था.
राष्ट्रपिता ने विकास के मुद्दों पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनके द्वारा दी गई वार्ता और उनके लेख उन मुद्दों को आवाज देते हैं जो आज नया भारत की विकास के लिए जरूरी है. राष्ट्रपिता ने विकास के मुद्दों पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी.
उनके द्वारा दी गई वार्ता और उनके लेख उन मुद्दों को आवाज देते हैं जो आज नया भारत की विकास के लिए जरूरी है. वे चाहते थे कि देश के सारे नागरिक सम्मान रूप से स्वाधीनता और समृद्धि का सुख भोगे. वह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं चाहते थे, अपितु जनता की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति भी चाहते थे.
वर्तमान समय में गांधी दर्शन का अस्तित्व मानव फीका पड़ता जा रहा है. जहां भी नजर घुमाओ वही घृणा, हिंसा, असत्य देखने को मिलता है. अगर देखा जाए तो सरलता की पराकाष्ठा का व्यक्तित्व एवं जीवन वर्तमान की सामाजिक, राजनीतिक एवं अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में उतना ही प्रासंगिकता रखता है जितना कि 100 वर्ष पहले रखता था.
गांधी दर्शन के बिना भारतीय समाज व नए भारत की बात अधूरी सी लगती है. नए भारत का निर्माण करने हेतु गांधी दर्शन एक मजबूत नीव की भाती है. उनके द्वारा उत्पन्न विचार जैसे सर्वोदय, सत्याग्रह, खादी, ग्राम स्वराज, महिला शिक्षा, अस्पृश्यता, स्वालंबन अन्य सामाजिक चेतनाओ से मिलकर ही नए भारत का निर्माण हुआ है.
युवा पीढ़ी की बात करें तो यह हमेशा गांधी दर्शन से प्रभावित रही है. समाज से हर बुराई को नष्ट करने में गांधी दर्शन का बहुत बड़ा योगदान रहा है. आज नए भारत को पूर्ण विकसित करने हेतु गांधी दर्शन को आदर्श बनाकर सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना है.
गांधी दर्शन से आत्मनिर्भर भारत:
महात्मा गांधी केवल भारत को स्वतंत्र कराने के प्रति ही समर्पित नहीं थे बल्कि उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली अर्थव्यवस्था का भी विचार दिया था. इसी के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का अभियान शुरू किया है. गांधी के विचार अत्यंत प्रासंगिक है प्रत्येक नागरिक गांधी के विचारों और दर्शन से लाभ उठाकर देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. देश का प्रत्येक नागरिक गांधी के विचारों से प्रेरणा लेकर नए भारत का निर्माण में अपना योगदान दे सकता है.
निष्कर्ष:
गांधी जी का मानना था कि मैं एक ऐसे भारत के लिए काम करूंगा जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति भी यह महसूस करेगा कि यह भारत देश उनका है जिसके निर्माण में उसकी आवाज प्रभावी है.
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि उनके दर्शन को अपनाकर एक नए भारत के निर्माण करें. जहां केवल सत्य अहिंसा के बल पर हर बुराई को नष्ट किया जा सके.
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